अप्सराएं कितने होती है (साधना और मंत्र विशेष)

🙏🏻🙏🏻💐जय गुरु मच्छिंद्रनाथ💐🙏🏻🙏🏻

आप सभी को गुरु बालकनाथ जी का आदेश! हम आज आपके लिए अप्सरा साधना की मंत्र विधि, के संदर्भ में विशेष की जानकारी लेकर आए है! तो चलिए साधना मंत्र विधि शुरु करते है!




 अप्सराएं, कितनी है जानते है !



पौराणिक शास्त्रों के अनुसार अप्सरा देवलोक में रहने वाली अनुपम, अति सुंदर, अनेक कलाओं में दक्ष, तेजस्वी और अलौकिक दिव्य स्त्री है। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि देवी, परी, अप्सरा, यक्षिणी, इन्द्राणी और पिशाचिनी आदि कई प्रकार की स्त्रियां हुआ करती थीं। उनमें अप्सराओं को सबसे सुंदर और जादुई शक्ति से संपन्न माना जाता है।


 अप्सराएं कितनी प्रकार होती है?


शास्त्रों के अनुसार देवराज इन्द्र के स्वर्ग में 11 अप्सराएं प्रमुख सेविका थीं। ये 11 अप्सराएं हैं- कृतस्थली, १)पुंजिकस्थला, २)मेनका, ३)रम्भा, ४)प्रम्लोचा, ५)अनुम्लोचा, ६)घृताची, ७)वर्चा, ८)उर्वशी, ९)पूर्वचित्ति  १०)तिलोत्तमा ११)कृतस्थली! इन सभी अप्सराओं की मुख्य अप्सरा रम्भा थीं।
अलग-अलग मान्यताओं में अप्सराओं की संख्या 108 से लेकर 1008 तक बताई गई है। कुछ नाम और- अम्बिका, अलम्वुषा, अनावद्या, अनुचना, अरुणा, असिता, बुदबुदा, चन्द्रज्योत्सना, देवी, घृताची, गुनमुख्या, गुनुवरा, हर्षा, इन्द्रलक्ष्मी, काम्या, कर्णिका, केशिनी, क्षेमा, लता, लक्ष्मना, मनोरमा, मारिची, मिश्रास्थला, मृगाक्षी, नाभिदर्शना, पूर्वचिट्टी, पुष्पदेहा, रक्षिता, ऋतुशला, साहजन्या, समीची, सौरभेदी, शारद्वती, शुचिका, सोमी, सुवाहु, सुगंधा, सुप्रिया, सुरजा, सुरसा, सुराता, उमलोचा आदि।


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