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Showing posts from August, 2019

भैरव तीव्र वशीकरण सम्मोहन प्रयोग

भैरव तीव्र वशीकरण सम्मोहन प्रयोग नौकरी, व्यापार, जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं कि आप चाह कर भी किसी को अपनी बात स्पष्ट नहीं कर पाते। ऐसे कई लोग हैं जिनको इस बात का दुःख होता है कि जीवन में उन्हें ‘चांस’ नहीं मिला। अक्सर लोग इस बात को कहते हैं कि – उसे अपनी बात कहने का अवसर ही प्राप्त नहीं हुआ, इसलिये काम नहीं हुआ। जीवन में आने वाले अवसरों अर्थात् ‘चांस’ को सुअवसर में बदलने के लिये सम्पन्न करें भगवान भैरव का यह अति विशिष्ट वशीकरण प्रयोग। जिसको सम्पन्न करने के पश्‍चात् आप जिस किसी को भी अपने वश में करना चाहते हैं अथवा अपनी बात को उसके सामने स्पष्ट करना चाहते हैं कर सकते हैं। यह प्रयोग बालक-वृद्ध, स्त्री-पुरुष किसी पर भी सम्पन्न किया जा सकता है। भगवान भैरव का तंत्र वशीकरण प्रयोग कोई टोटका नहीं बल्कि शुद्ध तंत्र प्रयोग है जिसका प्रभाव तत्काल रूप से देखा जा सकता है। साधना विधान तंत्र वशीकरण प्रयोग किसी भी रविवार अथवा मंगलवार को सम्पन्न किया जा सकता है। यह रात्रिकालीन प्रयोग है जिसे रात्रि में 10 बजे के बाद ही सम्पन्न करना चाहिए। इस प्रयोग हेतु  मंत्रसिद्ध प्राण प्रतिष्ठा

शत्रु बाधा निवारण प्रयोग

शत्रु-बाधा-निवारण-प्रयोग भगवान भैरव की साधना वशीकरण, उच्चाटन, सम्मोहन, स्तंभन, आकर्षण और मारण जैसी तांत्रिक क्रियाओं के दुष्प्रभाव को नष्ट करने के लिए भैरव साधना की जाती है। भैरव साधना से सभी प्रकार की तांत्रिक क्रियाओं के प्रभाव नष्ट हो जाते हैं। जन्म कुण्डली में छठा भाव शत्रु का भाव होता है। लग्न में षट भाव भी शत्रु का है। इस भाव के अधिपति, भाव में स्थित ग्रह और उनकी दृष्टि से शत्रु सम्बन्धी कष्ट उत्पन्न होते हैं। षष्ठस्थ-षष्ठेश सम्बन्धियों को शत्रु बनाता है। यह शत्रुता कई कारणें से हो सकती है। आपकी प्रगति कभी-कभी दूसरों को अच्छी नहीं लगती और आपकी प्रगति को प्रभावित करने के लिए तांत्रिक क्रियाओं का सहारा लेकर आपको प्रभावित करते हैं। तांत्रिक क्रियाओं के प्रभाव से व्यवसाय, धंधे में आशानुरूप प्रगति नहीं होती। दिया हुआ रुपया नहीं लौटता, रोग या विघ्न से आप पीड़ित रहते हैं अथवा बेकार के मुकद्मेबाजी में धन और समय की बर्बादी हो सकती है। इस प्रकार के शत्रु बाधा निवारण के लिए भैरव साधना फलदायी मानी गई। साधना विधान भैरव शत्रु बाधा निवारण यह प्रयोग किसी भी रविवार,  मंगलवार अथवा कृष्ण पक्ष की

बटुक भैरव साधना (batuk bhairav sadhana )

बटुक भैरव साधना जीवन में सुख और दुःख आते ही रहते हैं। जहां आदमी सुख प्राप्त होने पर प्रसन्न होता है, वहीं दुःख आने पर वह घोर चिन्ता और परेशानियों से घिर जाता है, परन्तु धैर्यवान व्यक्ति ऐसे क्षणों में भी शांत चित्त होकर उस समस्या का निराकरण कर लेते हैं। कलियुग में पग-पग पर मनुष्य को बाधाओं, परेशानियों और शत्रुओं से सामना करना पड़ता है, ऐसी स्थिति में उसके लिए मंत्र साधना ही एक ऐसा मार्ग रह जाता है, जिसके द्वारा वह शत्रुओं और समस्याओं पर पूर्ण विजय प्राप्त कर सकता है, इस प्रकार की साधनाओं में ‘आपत्ति उद्धारक बटुक भैरव साधना’ अत्यन्त ही सरल, उपयोगी और अचूक फलप्रद मानी गई है, कहा जाता है कि भैरव साधना का फल हाथों-हाथ प्राप्त होता है। भैरव को भगवान शंकर का ही अवतार माना गया है, शिव महापुराण में बताया गया है – भैरवः पूर्णरूपो हि शंकरः परात्मनः। मूढ़ास्ते वै न जानन्ति मोहिता शिवमायया। देवताओं ने भैरव की उपासना करते हुए बताया है कि काल की भांति रौद्र होने के कारण ही आप ‘कालराज’ हैं, भीषण होने से आप ‘भैरव’ हैं, मृत्यु भी आप से भयभीत रहती है, अतः आप काल भैरव हैं, दुष्टात्माओं का मर्दन करने

माहालक्ष्मी साधना (mahalakshmi sadhana)

माहालक्ष्मी साधना (mahalakshmi sadhana ) ..........कमला साधना मनुष्य को अपनी अधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये धन की ही आवश्यकता होती है। चाहे बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए, चाहे सामाजिक सुरक्षा के लिए, चाहे बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिये, चाहे ऐश्‍वर्य पूर्ण जीवन व्यापन के लिये, चाहे गृहस्थ जीवन में सुख प्राप्ति के लिये हो, ऐसी कई इच्छाएं, कामनाएं हैं जिन्हें धन के अभाव में पूर्ण नहीं किया जा सकता है। और वर्तमान युग में तो व्यक्ति सामाज में अपनी आर्थिक हैसियत से ही जाना जाता है, आज हम एक ऐसे युग में जीवन जी रहे हैं जहां रुपयों-पैसों का महत्व काफी बढ़ गया है। हम सब इस बदलाव से ज्यादा समय तक अछुते नहीं रह सकते है। अपनी आंखें बदं कर लेने से अंधेरा नहीं हो जाता। हम अपने आप को दीन-दुनिया से अलग भी नहीं रख सकते। पैसा सुख तो नहीं पर सुख का साधन है, इस बात को हमें स्वीकार करना ही पड़ेगा। आज हम देखते हैं कि – जिस इन्सान के पास धन की कमी होती है तो उसकी सामजिक इज्जत में भी कमी आ जाती है। आज हमें जरूरत है अपने अन्दर बदलाव लाने की जिससे कि हम समय के साथ आगे बढ़ सकें। यहां एक बात को समझना ब