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यक्षिणी साधना

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यक्षिणी  साधना, तुरंत मिलेगा फल यक्ष का शाब्दिक अर्थ होता है 'जादू की शक्ति'। आदिकाल में प्रमुख रूप से ये रहस्यमय जातियां थीं:- देव, दैत्य, दानव, राक्षस, यक्ष, गंधर्व, अप्सराएं, पिशाच, किन्नर, वानर, रीझ, भल्ल, किरात, नाग आदि। ये सभी मानवों से कुछ अलग थे। इन सभी के पास रहस्यमय ताकत होती थी और ये सभी मानवों की किसी न किसी रूप में मदद करते थे। देवताओं के बाद देवीय शक्तियों के मामले में यक्ष का ही नंबर आता है। कहते हैं कि यक्षिणियां सकारात्मक शक्तियां हैं तो पिशाचिनियां नकारात्मक। बहुत से लोग यक्षिणियों को भी किसी भूत-प्रेतनी की तरह मानते हैं, लेकिन यह सच नहीं है। रावण के सौतेला भाई कुबेर एक यक्ष थे, जबकि रावण एक राक्षस।  महर्षि पुलस्त्य के पुत्र विश्रवा की दो पत्नियां थीं- इलविला और कैकसी। इलविला से कुबेर और कैकसी से रावण, विभीषण, कुंभकर्ण का जन्म हुआ। इलविला यक्ष जाति से थीं तो कैकसी राक्षस। जिस तरह प्रमुख 33 देवता होते हैं, उसी तरह प्रमुख 8 यक्ष और यक्षिणियां भी होते हैं। गंधर्व और यक्ष जातियां देवताओं की ओर थीं तो राक्षस, दानव आदि जातियां दैत्यों की ओर। यदि आप देवत

शाबर मंत्र-गोपनीय सूत्र.

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शाबर मंत्र एक गुप्त विद्या :- शाबर मंत्र साधना एक गुप्त विद्या है जिसके बारे में आप और आपके गुरु के अतिरिक्त किसी को भी जानकारी नहीं होनी चाहिए | साधना के दौरान आपको होने वाले अनुभूतियों के विषय में भी आप किसी को न बताये | ऐसा करने से आपको साधना में जो अनुभूति मिल रही है वह बंद हो जाती है और साधना में असफलता ही हाथ लगती है | स्वप्न में भी होने वाली अनुभूतियों को किसी से न बताएं | किन्तु इनके विषय में अपने गुरु से कुछ न छिपाए | शाबर मंत्र साधना में गुरु का महत्व : – साधना चाहे कोई भी हो शाबर मंत्र/shabar mantra की या फिर वैदिक मंत्र की , गुरु का साथ आपको अतिशीघ्र साधना में सफलता दिला सकता है | साधक द्वारा गुरु के द्वारा दिए गये मंत्र को ही सिद्ध करना चाहिए | साधना में आने वाली हर अड़चन गुरु के आशीर्वाद द्वारा आसानी से दूर हो जाती है | आपके गुरु का उचित मार्गदर्शन किसी भी कठिन साधना में होने वाले नुकसान से आपको बचाता है | साधना काल में प्राप्त होने वाली उर्जा को उचित दिशा देना बहुत जरुरी हो जाता है और ऐसा गुरु के सानिध्य में ही संभव हो सकता है | द्रढ़ निश्चय और ध्यान साधना में