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Showing posts from April, 2019

तंत्र बाधा निवारण पीताम्बरा साधना

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तंत्र बाधा निवारण पीताम्बरा साधना वैशाख शुक्ल अष्टमी को देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस कहा जाता है जिस कारण इसे मां बगलामुखी जयंती के रूप में मनाया जाता है । इस वर्ष 2019 में यह जयन्ती 12 मई , को मनाई जाएगी,इस दिन व्रत एवं पूजा उपासना कि जाती है । साधक को माता बगलामुखी की निमित्त पूजा अर्चना एवं व्रत करना चाहिए, बगलामुखी जयंती के अवसर पर जगह-जगह अनुष्ठान के साथ विश्व कल्याणार्थ महायज्ञ का आयोजन किया जाता है तथा महोत्सव के दिन शत्रु नाशिनी बगलामुखी माता का विशेष पूजन किया जाता है और रातभर भगवती जागरण होता है । माँ बगलामुखी स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं । माँ बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है । देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए । देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं । संपूर्ण ब्

सिद्ध वशीकरण साधना

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सिद्ध वशीकरण साधना सूर्य/चन्द्र ग्रहण/होली मे यह साधना शुरू करनी है,५ दिन मे इस साधना मे ५११ माला मंत्र जाप आवश्यक है, सूर्य/चन्द्र ग्रहण/होली मे तो १११ माला जाप से मंत्र सिद्ध होता है,मंत्र जाप के बाद १११ मंत्र से हवन मे लोबान की आहुती दे,इस क्रिया से मंत्र अत्यधिक शक्तिशाली हो जायेगा, सूर्य/चन्द्र ग्रहण/होली के बाद ४ दिन मे भी १०० माला जाप और १०० आहुति देने से आपको मंत्र का पूर्ण सिद्धि मिलेगा॰ साधना विधि:- गुरु पूजन कर लीजिये और साथ मे गुरुमंत्र की ४ माला मंत्र जाप भी,काले रंग के आसन पर बैठकर दक्षिण दिशा की और मुख करे,काले वस्त्र धरण कर सकते है,माला काली हकीक/रुद्राक्ष का हो,सामने चमेली के तेल का अखंडित दीपक प्रज्वलित करे और सदगुरुजी से पूर्ण सफलता का प्रार्थना करते हुये मंत्र जाप प्रारंभ कर दे॰ मंत्र ॥ ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं कालिके  “सर्वान”मम वश्यं कुरु-कुरु सर्वान कामान मे साधय स्वाहा ॥ जिस स्त्री पुरुष को आप वश करना चाहते है उसका नाम प्रयोग करते समय सर्वान के स्थान पर बोलकर जाप करना है,आपको मंत्र सिद्धि होने के बाद मंत्र को कार्यान्वित करनेका विधि बता दुगा.............. अन

दुर्लभ यक्षिणीया

दुर्लभ यक्षिणीया. वनस्पति यक्षिणियां कुछ ऐसी यक्षिणियां भी होती हैं , जिनका वास किसी विशेष वनस्पति ( वृक्ष - पौधे ) पर होता है । उस वनस्पति का प्रयोग करते समय उस यक्षिणी का मंत्र जपने से विशेष लाभ प्राप्त होता है । वैसे भी वानस्पतिक यक्षिणी की साधना की जा सकती है । अन्य यक्षिणियों की भांति वे भी साधक की कामनाएं पूर्ण करती हैं । वानस्पतिक यक्षिणियों के मंत्र भी भिन्न हैं । कुछ बंदों के मंत्र भी प्राप्त होते हैं । इन यक्षिणियों की साधना में काल की प्रधानता है और स्थान का भी महत्त्व है । जिस ऋतु में जिस वनस्पति का विकास हो , वही ऋतु इनकी साधना में लेनी चाहिए । वसंत ऋतु को सर्वोत्तम माना गया है । दूसरा पक्ष श्रावण मास ( वर्षा ऋतु ) का है । स्थान की दृष्टि से एकांत अथवा सिद्धपीठ कामाख्या आदि उत्तम हैं । साधक को उक्त साध्य वनस्पति की छाया में निकट बैठकर उस यक्षिणी के दर्शन की उत्सुकता रखते हुए एक माह तक मंत्र - जप करने से सिद्धि प्राप्त होती हैं । साधना के पूर्व आषाढ़ की पूर्णिमा को क्षौरादि कर्म करके शुभ मुहूर्त्त में बिल्वपत्र के नीचे बैठकर शिव की षोडशोपचार पूजा करें और पूरे श्रावण मास