Posts

शव साधना

Image
*शव साधना:* यह साधना रात्री काल कृष्ण पक्ष की अमावस्या मे,या कृष्णपक्ष या शुक्लपक्ष की चतुर्दशी और दिन मंगलवार हो तो शव साधना काफी महत्वपूर्ण हो जाती है,शव साधना के पूर्व ही ये जान लेना आवश्यक है के शव किस कोटी का है,क्योकों शव साधना के लिये किसी चांडाल या अकारण गए युवा व्यक्ति (२०-३५) अथवा दुर्घटना से मरे व्यक्ति का शव ज्यादा उपयुक्त मानते है,वृद्ध रोगी येसे लोगो के शव कोई काम मे नहीं आते है। सर्वप्रथम पूर्व दिशा की ओर अभिमुख होकर ‘फट मंत्र’ पढ़ना है, इसके बाद चारो दिशाए कीलने के लिये पूर्व दिशा मे अपने गुरु, पश्चिम मे बटुक भैरव , उत्तर मे योगिनी और दक्षिण मे विघ्नविनाशक गणेश को विराजमान करने के लिये आराधना करनी है । शमशान की भूमि पर यह मंत्र अंकित करना है- *।। "हूं हूं ह्रीं ह्रीं कालिके घोरदंस्ट्रे प्रचंडे चंडनायिकेदानवान द्वाराय हन हन शव शरीरे महाविघ्न छेदय छेदय स्वाहा हूं फट "।।* इसके बाद तीन बार वीरार्दन मंत्र का उच्चारण करते हुए पुष्पांजलि अर्पित करे (यहा पर वीरार्दान मंत्र नही दे रहा हू,उसे गोपनीय रख है )। इसके उपरांत बड़े विधि-विधान से पूर्वा दिशा मे श्मशान

शाबर शक्ति मंत्र साधना

Image
शाबर शक्ति मंत्र साधना आज लिखने का विषय यही है,आप कुछ समय मंत्र जाप के लिए भी निकाल ही लो । इसमें आपको कोई नुकसान नही होगा और मातारानी ने चाहा तो फायदा ही होगा । आज एक आवश्यक साधना दे रहा हु जो किसी भी किताब में छपी नही है और मैं इस मंत्र का जाप शुभ समयो पर 14 साल से करता आरहा हु । मुझे और मेरे सभी पहेचान वालो को फायदा हुआ है,किसी को जल्द फायदा हुआ है तो किसीको देर से फायदा हुआ है परंतु फायदा सभी को हुआ है और आपको भी हो सकता है । इस साधना में साधना सामग्री बहोत सस्ती है जैसे कपूर,धूपबत्ती और माचीस । मंत्र जाप के समय कपूर बुझना नही चाहिए और सुगंधित धूपबत्ती से आपको आध्यात्मिक वातावरण बनाके रखना है । आसान कोई भी चलेगा, किसी भी रंग का चलेगा । दिशा का कोई बंधन नही,जहां चाहो वहां मुख करके बैठ सकते हो परंतु पूर्व/उत्तर दिशा मंत्र जाप हेतु अच्छा माना जाता है । साधना जाप के लिये समय का कोई पाबंदी नही है,चाहो उतना जाप करो और जब भी साधना हेतु समय दे सकते हो उसी समय जाप कर लिया करो । संसार के किसी भी शुद्ध या पवित्र स्थान पर सुखासन में बैठकर कर जाप कर सकते हो,जरूरी नही के मंत्र जाप पूजाघर में ही

रोगमुक्ती साधना-माँ भद्रकाली

Image
रोगमुक्ती साधना-माँ भद्रकाली बहोत दिनोसे चाहता था,माँ भद्रकाली जी का मंत्र साधना विधान लिखा जाए । भद्रकाली जी प्रचंड शक्तियुक्त देवी मानी जाती है,उनका कोई भी साधना विधान कभी भी खाली नही जाता । अन्य साधनाओं में भले ही सफलता मिले या ना मिले परंतु काली जी के इस रूप के साधना में सफलता अवश्य ही मिलता है । जहां माँ भद्रकाली अपने बच्चो को ममतामयी नजरो से देखती है , ठीक उसी तरहां भक्तो के समस्त शत्रुओं को दंडित करती है । आज जो साधना दे रहा हू इससे समस्त प्रकार के रोगों से मुक्ती प्राप्त होता है । जब तक शरीर रोगों से मुक्त ना हो जाए तब तक जीवन में सब कुछ होकर भी कुछ नही रहेता है । यह साधना विधान आपके समस्त रोगों का स्तंभन करने हेतु आवश्यक है, पहला सुख निरोगी काया -अर्थात स्वस्थ्य शरीर ही जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति है और उसी से आप अन्य सुखों का उपभोग कर सकते हैं तथा साधना में आसन की दृढ़ता को प्राप्त कर सकते हैं । यह साधना किसी भी शनिवार से शुरू करे,आसन और वस्त्र लाल रंग के हो,मंत्र जाप के समय उत्तर दिशा में हो,मंत्र जाप करने हेतु रुद्राक्ष का माला उत्तम है । साधना के समय गाय के घी का ही दीपक प्रज्

सर्व कार्य सिद्धि साधना (भैरव बाबा)

Image
आज हम एक विशेष साधना प्रयोग दे रहे हैं जिसके माध्यम से आप जीवन मे बहोत कुछ प्राप्त कर सकते है । सर्वप्रथम प्रयोग है बावन भैरव का तांत्रोत्क मंत्र जो सर्वोपरि मंत्र है । इस मंत्र साधना के माध्यम से आप अपने जीवन मे लटके हुए कामो को आसानी से पूर्ण कर सकते है,इसका विधान भी बहोत आसान है, कहि से पाँच मुखी रुद्राक्ष माला प्राप्त करे और उसी माला से आपको 11 माला मंत्र जाप रात्रि में 21 दिनों तक करने से मंत्र सिद्धि संभव होगी । 22 वे दिन आपको अग्नि प्रज्वलित करके लौंग की 108 बार आहुतिया देनी है, साधक का मुख साधना काल मे दक्षिण दिशा के तरफ होना जरूरी है। मंत्र- ॐ भ्रं भ्रं भैरवाय भ्रं भ्रं नमः Om bhram bhram bhairavaay bhram bhram namah जब भी आपकी कोई कामना आपको पूर्ण करनी हो तब दाए हाथ मे जल लेकर अपनी कामना बोले और जल को जमीन पर छोड़ दीजिए,उसके बाद उसी रुद्राक्ष माला से 11 माला जाप करे तो आपको कामना अवश्य ही पूर्ण होगी । यह मेरा स्वयं का आजमाया हुआ मंत्र है और इस मंत्र की 1 माला जाप मैं नित्य करता हु । अब बात करेंगे द्वितीय मंत्र की जो पूर्ण रूपेण एक रक्षात्मक मंत्र है,इस मंत्र का 101 माला जाप हन

वशीकरण साबर मंत्र,षटकर्म भाग-2.

Image
वशीकरण साबर मंत्र,षटकर्म भाग-2. द्वितीय क्रिया शाबर वशीकरण मंत्र वश्यं जनानां सर्वेषां वात्सल्य हृद्-गतं-स्मृतम् । (सांख्यायन तंत्र) वश्यं जनानां सर्वेषां विधेयत्वमुदीरितम् । (उड्डीश तंत्र) राजअर्थात् जिससे सभी जीवों (स्त्री-पुरुषों) को वश में किया जाता है और सबके हृदय में अपने प्रति वात्सल्य (प्रेम) पैदा किया जाता है उसे वशीकरण कहते हैं। स्त्री-पुरुष वशीकरण, -वशीकरण, आकर्षण, मोहन आदि वश्य-कर्म के भेद हैं। उपरोक्त मंत्र से यह स्पष्ट है कि वशीकरणा साधना प्रेम की साधना है। संसार के सारे प्राणियों को प्रेम से वश में किया जा सकता है। लेकिन यदि कोई व्यक्ति काम इत्यादि भाव से अथवा बुरे विचार रखता है तो उसे लाभ के स्थान पर हानि भी हो सकती है। शुद्ध भाव से प्रेम में सफलता राज्यकार्य में सफलता, परिवार में अनुकूलता, मित्रों से सहयोग इत्यादि कार्य हेतु ही यह वशीकरण साधना सम्पन्न करनी चाहिये। साधना विधान:- साधक किसी भी माह के शनिवार को रात्रि में 10 बजे के पश्चात् शुद्ध पवित्र होकर पश्चिम दिशा की ओर मुख कर अपने सामने लकड़ी के एक बाजोट पर लाल वस्त्र बिछा दें। इसके पश्चात साधक अपने सामने

तांत्रोत्क वनस्पति टोटके.

Image
तांत्रोत्क वनस्पति टोटके. छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत् जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं।हमारे आसपास पाए जाने वाले विभिन्न पेड़-पौधों के पत्तों, फलों आदि का टोटकों के रूप में उपयोग भी हमारी सुख-समृद्धि की वृद्धि में सहायक हो सकता है। यहां कुछ ऐसे ही सहज और सरल उपायों का उल्लेख प्रस्तुत है, जिन्हें अपना कर पाठकगण लाभ उठा सकते हैं। बिल्व पत्र : अश्विनी नक्षत्र वाले दिन एक रंग वाली गाय के दूध में बेल के पत्ते डालकर वह दूघ निःसंतान स्त्री को पिलाने से उसे संतान की प्राप्ति होती है। अपामार्ग की जड़ : अश्विनी नक्षत्र में अपामार्ग की जड़ लाकर इसे तावीज में रखकर किसी सभा में जाएं, सभा के लोग वशीभूत होंगे। नागर बेल का पत्ता : यदि घर में किसी वस्तु की चोरी हो गई हो, तो भरणी नक्षत्र में नागर बेल का पत्ता लाकर उस पर कत्था लगाकर व सुपारी डालकर चोरी वाले स्थान पर रखें, चोरी की गई वस्तु का पला चला जाएगा। संखाहुली की जड़ : भरणी नक्षत्र में संखाहुली की जड़ लाकर तावीज में पहनें तो विपरीत लिंग वाले प्राणी आपसे प्रभावित होंगे। आक की जड़ : कोर्ट कचहरी के

गणपति जी का चमत्कारी मंत्र 10 दिनों तक करें इस मंत्र का जप- दरिद्रता से मिलेगी मुक्ति

Image
गणेश चतुर्थी से 10 दिनों तक करें इस मंत्र का जप- दरिद्रता से मिलेगी मुक्ति इस मंत्र की साधना से होगा दरिद्रता का नाश गणेश मंत्र साधना भारतीय परंपरा के अनुसार किसी भी कार्य का शुभारंभ करने से पूर्व गणपति का स्मरण व पूजन अवश्य किया जाता है, क्योंकि ऐसा करने से उस कार्य में आने वाली समस्या समाप्त हो जाती है, जिस कारण वह उस कार्य में शीघ्र ही सफलता प्राप्त कर लेता है । गणपति का एक विशिष्ट स्वरूप विघ्नहर्ता के रूप में प्रचलित है जो भोग और मोक्ष प्रदान करने वाला और शक्ति के गुणों का साकार स्वरूप है, जो सद्गृहस्थ व योगी दोनों ही जीवन को की समस्याओं का निराकरण करने वाली है ऐसे देव गणेश की उपासना साधना जो देवों के अधिपति है, जिसके इस मंत्र की साधना से व्यक्ति जीवन की दरिद्रता से हमेशा हमेशा के लिए छुटकारा पा सकता है ।    गणपति जी की साधना अपने आप में एक श्रेष्ठतम साधना है जो तुरंत फल देने वाली है, इनकी साधना को करने से साधक के जीवन की दरिद्रता हमेशा हमेशा के लिए दूर भाग जाती हैं । गणेश जी की यह साधना आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण साधना कहलाती है, जिसे गणेश चतुर्थी से लेकर पूरे 10 दिनो