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कुण्डली मे अशुभ योग और उनका निवारण

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कुण्डली में अशुभ योग और उनका निवारण. 1).चांडाल योग- गुरु के साथ राहु या केतु हो तो जातक बुजुर्गों का एवम् गुरुजनों का निरादर करता है ,मोफट होता है,तथा अभद्र भाषाका प्रयोग करता है । यह जातक पेट और श्वास के रोगों से पीड़ित हो सकता है और इनका जीवन कष्टदायक होता है। वह निराश व हताश रहता है उसकी प्रकृति आत्मघाती होती है । 2).सूर्य ग्रहण योग- सूर्य के साथ राहु या केतु हो तो जातक कोहड्डियों की कमजोरी, नेत्र रोग, ह्रदय रोग होने की संभावना होती है ,एवम् पिताका सुख कम होता है,आत्मविश्वास की कमी होती है इसके वजेसे सफलताये नही मिलती है । ग्रहण का शाब्दिक अर्थ है खा जाना तथा इसी प्रकार यह माना जाता है कि राहु अथवा केतु में से किसी एक के सूर्य अथवा चन्द्रमा के साथ स्थित हो जाने से ये ग्रह सूर्य अथवा चन्द्रमा का कुंडली में फल खा जाते हैं जिसके कारण जातक को अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 3).चंद्र ग्रहण योग- चंद्र के साथ राहु या केतु हो तो जातक को मानसिक पीड़ा एवं माता को हानई पोहोंचती है,जीवन मे सुख को कमी और दुःख ज्यादा होते है । चन्द्रमा पर राहु अथवा केतु