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Showing posts from January, 2024

शव साधना

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*शव साधना:* यह साधना रात्री काल कृष्ण पक्ष की अमावस्या मे,या कृष्णपक्ष या शुक्लपक्ष की चतुर्दशी और दिन मंगलवार हो तो शव साधना काफी महत्वपूर्ण हो जाती है,शव साधना के पूर्व ही ये जान लेना आवश्यक है के शव किस कोटी का है,क्योकों शव साधना के लिये किसी चांडाल या अकारण गए युवा व्यक्ति (२०-३५) अथवा दुर्घटना से मरे व्यक्ति का शव ज्यादा उपयुक्त मानते है,वृद्ध रोगी येसे लोगो के शव कोई काम मे नहीं आते है। सर्वप्रथम पूर्व दिशा की ओर अभिमुख होकर ‘फट मंत्र’ पढ़ना है, इसके बाद चारो दिशाए कीलने के लिये पूर्व दिशा मे अपने गुरु, पश्चिम मे बटुक भैरव , उत्तर मे योगिनी और दक्षिण मे विघ्नविनाशक गणेश को विराजमान करने के लिये आराधना करनी है । शमशान की भूमि पर यह मंत्र अंकित करना है- *।। "हूं हूं ह्रीं ह्रीं कालिके घोरदंस्ट्रे प्रचंडे चंडनायिकेदानवान द्वाराय हन हन शव शरीरे महाविघ्न छेदय छेदय स्वाहा हूं फट "।।* इसके बाद तीन बार वीरार्दन मंत्र का उच्चारण करते हुए पुष्पांजलि अर्पित करे (यहा पर वीरार्दान मंत्र नही दे रहा हू,उसे गोपनीय रख है )। इसके उपरांत बड़े विधि-विधान से पूर्वा दिशा मे श्मशान

शाबर शक्ति मंत्र साधना

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शाबर शक्ति मंत्र साधना आज लिखने का विषय यही है,आप कुछ समय मंत्र जाप के लिए भी निकाल ही लो । इसमें आपको कोई नुकसान नही होगा और मातारानी ने चाहा तो फायदा ही होगा । आज एक आवश्यक साधना दे रहा हु जो किसी भी किताब में छपी नही है और मैं इस मंत्र का जाप शुभ समयो पर 14 साल से करता आरहा हु । मुझे और मेरे सभी पहेचान वालो को फायदा हुआ है,किसी को जल्द फायदा हुआ है तो किसीको देर से फायदा हुआ है परंतु फायदा सभी को हुआ है और आपको भी हो सकता है । इस साधना में साधना सामग्री बहोत सस्ती है जैसे कपूर,धूपबत्ती और माचीस । मंत्र जाप के समय कपूर बुझना नही चाहिए और सुगंधित धूपबत्ती से आपको आध्यात्मिक वातावरण बनाके रखना है । आसान कोई भी चलेगा, किसी भी रंग का चलेगा । दिशा का कोई बंधन नही,जहां चाहो वहां मुख करके बैठ सकते हो परंतु पूर्व/उत्तर दिशा मंत्र जाप हेतु अच्छा माना जाता है । साधना जाप के लिये समय का कोई पाबंदी नही है,चाहो उतना जाप करो और जब भी साधना हेतु समय दे सकते हो उसी समय जाप कर लिया करो । संसार के किसी भी शुद्ध या पवित्र स्थान पर सुखासन में बैठकर कर जाप कर सकते हो,जरूरी नही के मंत्र जाप पूजाघर में ही

रोगमुक्ती साधना-माँ भद्रकाली

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रोगमुक्ती साधना-माँ भद्रकाली बहोत दिनोसे चाहता था,माँ भद्रकाली जी का मंत्र साधना विधान लिखा जाए । भद्रकाली जी प्रचंड शक्तियुक्त देवी मानी जाती है,उनका कोई भी साधना विधान कभी भी खाली नही जाता । अन्य साधनाओं में भले ही सफलता मिले या ना मिले परंतु काली जी के इस रूप के साधना में सफलता अवश्य ही मिलता है । जहां माँ भद्रकाली अपने बच्चो को ममतामयी नजरो से देखती है , ठीक उसी तरहां भक्तो के समस्त शत्रुओं को दंडित करती है । आज जो साधना दे रहा हू इससे समस्त प्रकार के रोगों से मुक्ती प्राप्त होता है । जब तक शरीर रोगों से मुक्त ना हो जाए तब तक जीवन में सब कुछ होकर भी कुछ नही रहेता है । यह साधना विधान आपके समस्त रोगों का स्तंभन करने हेतु आवश्यक है, पहला सुख निरोगी काया -अर्थात स्वस्थ्य शरीर ही जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति है और उसी से आप अन्य सुखों का उपभोग कर सकते हैं तथा साधना में आसन की दृढ़ता को प्राप्त कर सकते हैं । यह साधना किसी भी शनिवार से शुरू करे,आसन और वस्त्र लाल रंग के हो,मंत्र जाप के समय उत्तर दिशा में हो,मंत्र जाप करने हेतु रुद्राक्ष का माला उत्तम है । साधना के समय गाय के घी का ही दीपक प्रज्