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Showing posts from October, 2019

मधुमेहा डायबिटीज

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डायबिटीज मेलेटस  (डीएम), जिसे सामान्यतः  मधुमेह कहा जाता है, चयापचय संबंधी बीमारियों का एक समूह है जिसमें लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा का स्तर होता है।उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना होता है, प्यास की बढ़ोतरी होती है, और भूख में वृद्धि होती है।  यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, मधुमेह कई जटिलताओं का कारण बन सकता है।  तीव्र जटिलताओं में मधुमेह केटोएसिडोसिस, नॉनकेटोटिक हाइपरोस्मोलर कोमा, या मौत शामिल हो सकती है। गंभीर दीर्घकालिक जटिलताओं में हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रोनिक किडनी की विफलता, पैर अल्सर और आंखों को नुकसान शामिल है। मधुमेह मधुमेह ह के कारण है या तो  अग्न्याशय   पर्याप्त  इंसुलिन  का उत्पादन नहीं करता या शरीर की कोशिकायें इंसुलिन को ठीक से जवाब नहीं करती।  मधुमेह के चार मुख्य प्रकार हैं: टाइप 1 डीएम पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने के लिए अग्न्याशय की विफलता का परिणाम है। इस रूप को पहले "इंसुलिन-आश्रित मधुमेह मेलाईटस" (आईडीडीएम) या "किशोर मधुमेह" के रूप में जाना जाता था। इसका कारण अज्ञात है...

मनो वांछित निश्चित व्यक्ति प्राप्ति हेतु वशीकरण तंत्र साधना विधान ..…..

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मनो वांछित निश्चित व्यक्ति प्राप्ति हेतु वशीकरण तंत्र साधना विधान ..…..  भारतीय मनिषियों ने   मानव  जीवन  को सुचारू  रूप से  गतिशील   बनाये  रखने  और  समाज में  एक   निरंतरता   के  साथ   मर्यादा  का पालन  भी हो सके   इसकेलिए  अनेको संस्कार   की  कल्पना   की .जिन्हें  हम   सोलह  संस्कार   के नाम से भी  जानते  हैं .पर   आज   इनमे से  अनेको   का पालन  वेसे नही होता   जैसे की होना   चाहिये .अब न  वेसे योग्य विद्वान   रहे  न ही उन  संस्कारों को पालन  करने लायक हमारा  मानस ...पर  कुछ संस्कारों का  अस्तित्व  आज भी हैं   उनमे से  प्रमुख हैं ..विवाह  संस्कार ..जो जीवन  की  एक महत्वपूर्ण घटना   कही जा  सकती हैं .जिस  पर ...

बिर कंगण-(21 बिर युक्त)

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बिर कंगण-(21 बिर युक्त) स्वर्ण रूप्यं ताम्रं च रंग यशदमेव च। शीसं लौहं रसश्चेति धातवोऽष्टौ प्रकीर्तिता:। सुश्रुतसंहिता में केवल प्रथम सात धातुओं का ही निर्देश देखकर आपातत: प्रतीत होता है कि सुश्रुत पारा (पारद, रस) को धातु मानने के पक्ष में नहीं हैं, पर यह कल्पना ठीक नहीं। उन्होंने रस को धातु भी अन्यत्र माना है (ततो रस इति प्रोक्त: स च धातुरपि स्मृतथ:)। अष्टधातु का उपयोग प्रतिमा के निर्माण के लिए भी किया जाता है। अष्टधातु - सोना, चाँदी, तांबा, रांगा, जस्ता, सीसा, लोहा, तथा पारा (रस). अष्टधातु का मुनष्य के स्वास्थ्य से गहरा सम्बंध है यह हृदय को भी बल देता है एवं मनुष्य की कितनी ही बीमारियों को दूर करता है। अष्ट धातु की अंगूठी पहिनने पर या कड़ा धारण करने पर यह मानसिक तनाव को दूर कर मन में शान्ति लाता है। यहीं नहीं यह वात पित्त कफ का इस प्रकार सामंजस्य करती हैं कि बीमारियां कम एवं स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव होता है अष्ट धातु मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालता है। इससे व्यक्ति में तीव्र एवं सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है। धीरे-धीरे सम्पन्नता में वृद्धि होती है। यह...

तंत्र बाधा निवारण एवम् वशीकरण

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आप सभी मित्रों को प्रणाम, दुनिया समय के हिसाब से चलती है परंतु अगर हमारा समय ही खराब हो तो हम दुनिया के साथ नही चल पायेगे. आज के इस युग मे जीवन कठिनाई से युक्त बन चुका है और इस युग मे जीना हो तो हमे स्वयं की चिंता भी आवश्यक है. अभी कुछ दिनों पूर्व मुझे एक व्यक्ति का फोन आया था,उन्होंने जीवन मे मान सम्मान दौलत ढेर सारी कमाली परंतु एक समय ऐसा उन्हें देखना पड़ा कि आज वह व्यक्ति किराये के मकान में रहने के लिए विवश है,उन्होंने कई सारे पूजा-पाठ करवाये-कई ज्योतिष के उपाय भी किये,फिर भी जीवन मे उनकी उन्नति रुकी हुई थी.उनके जीवन के परेशानी का कारण एक ही था तांत्रिक बाधा जिसे काले जादू के नाम से सर्वजन जानते है.मैने मच्छिंद्रनाथ जी की कृपा से उनका बाधा हटा दिया और इसका अनुभव उन्हें थोड़े ही समय मे प्राप्त हुआ. आज आप सभी मित्रों से एक बात बोलना चाहता हु,जीवन मे हारिये मत और गलती से भी तंत्रात्मक बाधाओं के कष्टों से डरना भी नही है.मैं आपका तंत्रात्ममक बाधा मतलब काला जादू हटा दूँगा, यह मेरे लिए मेरे इष्ट की सेवा है जो मैं कई वर्षों से कर रहा हु. अब आपका भी काला जादू हटाने का कार्य मैं करना च...