मधुमेहा डायबिटीज
डायबिटीज मेलेटस (डीएम), जिसे सामान्यतः मधुमेहकहा जाता है, चयापचय संबंधी बीमारियों का एक समूह है जिसमें लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा का स्तर होता है।उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना होता है, प्यास की बढ़ोतरी होती है, और भूख में वृद्धि होती है। यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, मधुमेह कई जटिलताओं का कारण बन सकता है। तीव्र जटिलताओं में मधुमेह केटोएसिडोसिस, नॉनकेटोटिक हाइपरोस्मोलर कोमा, या मौत शामिल हो सकती है। गंभीर दीर्घकालिक जटिलताओं में हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रोनिक किडनी की विफलता, पैर अल्सर और आंखों को नुकसान शामिल है।
ह के कारण है या तो अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता या शरीर की कोशिकायें इंसुलिन को ठीक से जवाब नहीं करती। मधुमेह के चार मुख्य प्रकार हैं:
मधुमेह | |
मधुमेह |
टाइप 1 डीएम पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने के लिए अग्न्याशय की विफलता का परिणाम है। इस रूप को पहले "इंसुलिन-आश्रित मधुमेह मेलाईटस" (आईडीडीएम) या "किशोर मधुमेह" के रूप में जाना जाता था। इसका कारण अज्ञात है- टाइप 2 डीएम इंसुलिन प्रतिरोध से शुरू होता है, एक हालत जिसमें कोशिका इंसुलिन को ठीक से जवाब देने में विफल होती है। जैसे-जैसे रोग की प्रगति होती है, इंसुलिन की कमी भी विकसित हो सकती है। इस फॉर्म को पहले "गैर इंसुलिन-आश्रित मधुमेह मेलेतुस" (एनआईडीडीएम) या "वयस्क-शुरुआत मधुमेह" के रूप में जाना जाता था। इसका सबसे आम कारण अत्यधिक शरीर का वजन होना और पर्याप्त व्यायाम न करना है।
- गर्भावधि मधुमेह इसका तीसरा मुख्य रूप है और तब होता है जब मधुमेह के पिछले इतिहास के बिना गर्भवती महिलाओं को उच्च रक्त शर्करा के स्तर का विकास होता है।
- सेकेंडरी डायबिटीज इस प्रकार की डायबिटीज इलाज करने मात्र से ही सही हो सकती है जैसे की कुछ दवाईओं को बंद करने से, पिट्यूटरी ग्लैंड का ट्यूमर का इलाज करने से।
3. ब्लड शुगर के स्तर को कम रखने के लिए एक महीने तक अपने प्रतिदिन के आहार में 1 ग्राम दालचीनी शामिल करें।
4. गर्म पानी में ग्रीन टी का एक बैग 2-3 मिनट तक डुबोकर रखें। फिर बैग निकाल दें और इस चाय का एक कप सुबह या भोजन के पहले सेवन करें।
5. ड्रमस्टिक (अमलतास) की कुछ पत्तियां धोकर उनका रस निकालें। एक चौथाई कप रस लें तथा ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए प्रतिदिन सुबह खाली पेट इसे पी लें
6. डायबीटीज पर कंट्रोल करने के लिए नीम की पत्तियों का रस खाली पेट पीना चाहिए। नीम इन्सुलिन संग्राहक संवेदनशीलता को बढ़ाता है, रक्त वाहिकाओं को प्रसारित करके रक्त परिसंचरण में सुधार लाता है, ब्लड ग्लूकोज़ के लेवल को कम करता है और हाइपोग्लास्मिक औषधियों पर निर्भरता कम करता है।
7. डायबीटीज के मरीजों के लिए सौंफ बहुत फायदेमंद होती है। सौंफ खाने से डायबीटीज नियंत्रण में रहता है। नियमित तौर पर खाने के बाद सौंफ खानी चाहिए।
8. 10 मिलीग्राम आंवले के जूस को 2 ग्राम हल्दी के पाउडर में मिलाकर सेवन सरने से डायबीटीज पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इस घोल को दिन में दो बार लीजिए।
9. डायबीटीज के रोगियों को काले नमक के साथ जामुन खाना चाहिए। इससे खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है।
10. करेले का रस शुगर की मात्रा कम करता है। डायबीटीज पर नियंत्रण पाने के लिए करेले का रस नियमित तौर पर पीना चाहिए।
11. 6 बेलपत्र , 6 नीम के पत्ते, 6 तुलसी के पत्ते, 6 बैगनबेलिया के हरे पत्ते, 3 साबुत कालीमिर्च पीसकर खाली पेट, पानी के साथ लेने से डायबीटीज पर कन्ट्रोल किया जा सकता है। ध्यान रहे, इसे पीने के बाद कम से कम आधे घंटे तक कुछ भी न खाएं।
12. टमाटर,खीरा और करेले का मिक्स जूस सुबह-सुबह खाली पेट पीने से भी डायबीटीज में बहुत फायदा होता है।
13. शलजम के प्रयोग से भी ब्लड शुगर कम होती है। इसके अलावा डायबीटीज के मरीज को तरोई, लौकी, परवल, पालक, पपीता आदि का प्रयोग भी ज्यादा करना चाहिए।
14. प्रतिदिन सुबह खाली पेट अलसी का चूर्ण गरम पानी के साथ लेने से डायबीटीज को कम किया जा सकता है। अलसी में फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिसके कारण यह फैट और शुगर का उचित अवशोषण करने में सहायक होता है। अलसी के बीज डाइबीटीज़ के मरीज़ की भोजन के बाद की शुगर को लगभग 28 प्रतिशत तक कम कर देते हैं।
आयुर्वेदिक जड़ी बूटी का इलाज
मधुमेह यह रोग आयुर्वेदिक दवा से ठीक हो सकता है यह आयुर्वेदिक जड़ी बूटी दवा दुर्मिल होती है जो पहाड़ों जंगलों से ढूंढ कर लाने होती है विशेष मात्रा से उसका मिश्रण करना होता है यहां आयुर्वेदिक जड़ी बूटी वाली दवा आपको लागत मूल्य में ही प्राप्त होगी इस दवा का मूल्य है ₹25,00 हमें इस दवा का प्रचार करना नहीं है बल्कि इस दवा से लोगों का इलाज करना है इसलिए यह दवा आपको लागत मूल्य में दिए जा रही है
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