गणपति जी का चमत्कारी मंत्र 10 दिनों तक करें इस मंत्र का जप- दरिद्रता से मिलेगी मुक्ति

गणेश चतुर्थी से 10 दिनों तक करें इस मंत्र का जप- दरिद्रता से मिलेगी मुक्ति
इस मंत्र की साधना से होगा दरिद्रता का नाश


गणेश मंत्र साधना भारतीय परंपरा के अनुसार किसी भी कार्य का शुभारंभ करने से पूर्व गणपति का स्मरण व पूजन अवश्य किया जाता है, क्योंकि ऐसा करने से उस कार्य में आने वाली समस्या समाप्त हो जाती है, जिस कारण वह उस कार्य में शीघ्र ही सफलता प्राप्त कर लेता है । गणपति का एक विशिष्ट स्वरूप विघ्नहर्ता के रूप में प्रचलित है जो भोग और मोक्ष प्रदान करने वाला और शक्ति के गुणों का साकार स्वरूप है, जो सद्गृहस्थ व योगी दोनों ही जीवन को की समस्याओं का निराकरण करने वाली है ऐसे देव गणेश की उपासना साधना जो देवों के अधिपति है, जिसके इस मंत्र की साधना से व्यक्ति जीवन की दरिद्रता से हमेशा हमेशा के लिए छुटकारा पा सकता है ।

  

गणपति जी की साधना अपने आप में एक श्रेष्ठतम साधना है जो तुरंत फल देने वाली है, इनकी साधना को करने से साधक के जीवन की दरिद्रता हमेशा हमेशा के लिए दूर भाग जाती हैं । गणेश जी की यह साधना आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण साधना कहलाती है, जिसे गणेश चतुर्थी से लेकर पूरे 10 दिनों तक इस विशेष मंत्र की साधना अनुष्ठान- रोज 7 या 11 माला, हल्दी की माला से जप, प्रत्येक व्यक्ति को संपन्न करनी चाहिए, और वैसे भी भारतीय परंपरा के अनुसार दीपावली के पर्व पर लक्ष्मी प्राप्ति हेतु सर्वप्रथम गणेश पूजन ही किया जाता है । भगवान गणपति की विशेष फल प्रदान करने वाली यह विशेष मंत्र साधना जो जीवन की समस्त समस्याओं से मुक्ति दिलाने वाली साधना कही जाती हैं । इन्हें साधक किसी भी रुप में गणेश चतुर्थी से लेकर 10 दिनों के उत्सव संपन्न कर सकते हैं और गणेश जी की कृपा के अधिकारी बन सकते हैं ।


इस मंत्र की करें साधना
गणेश साधना पूर्ण सौभाग्य सौंदर्य एवं समृद्धि प्रधान करन ग्रह कलेश का निवारण करती है, यह साधना सभी पापों और दोषों का नाश करती है, तंत्र बाधा का निवारण हो जाता है । सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है, और इस साधना से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति के साथ गणेश दर्शन और गुरु कृपा भी प्राप्त होती है ।

श्रीगणपति के मंत्र और यंत्र अत्यंत चमत्कारी माने गए हैं। विशेषकर गणेश यंत्र मानव के समस्त कार्यों को सिद्ध करता है। इस यंत्र साधना द्वारा मानव को गणेश भगवान की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है और मानव पूर्ण लाभान्वित होता है। निम्न वर्णित विधि अनुसार गणेश यंत्र को शुक्ल पक्ष की चतुर्थी ति‍थि को शुभ मुहूर्त में शास्त्रोक्त विधान से ताम्रपत्र पर निर्माण करा लें। यंत्र को खुदवाना नि‍षेध है। यंत्र साथ कुम्हार के चाक की मृण्मय गणेश प्रतिमा, जो उसी दिन बनाई गई हो, स्थापित करें। 
 
यं‍त्र साधना को 4 भागों में बांटा गया है-

(1) दारिद्रय-नाश, व्यापारोन्नति, आर्थिक लाभ 
(2) संतान प्राप्ति 
(3) विद्या, ज्ञान, बुद्धि की प्राप्ति
(4) कल्याण, मनोकामना पूर्ति

चारों कार्यों की सिद्धि के लिए एक ही मंत्र है-
 
ॐ गं गणपतये नम:
 


किंतु जप संख्या और विधि भिन्न है।

प्रथम कार्य की सिद्धि के लिए सायंकाल,
दूसरे कार्य के लिए मध्याह्नकाल,
तीसरे-चौथे कार्य के लिए प्रात:काल के समय कंबल के आसन पर पीत वस्त्र धारण करके पूर्व या पश्चिम दिशा की तरफ मुख करके यं‍त्र के सम्मुख बैठें। 

 
रुद्राक्ष की माला से प्रतिदिन 31 माला का जाप यंत्र एवं प्रतिमा का पंचोपचार पीतद्रव्यों से पूजन करके 31 दिन तक करना चाहिए। बाद में दयांश हवन, तर्पण, मार्जन करके 5 बटुक ब्राह्मण भोजन कराएं। यह कार्य अनुष्ठान पद्धति से होना चाहिए। मंत्र जाप करते समय 5 घी के दीपक एवं 5 बेसन के लड्डुओं का नैवेद्य अर्पण करना अनिवार्य है। 
 
एक यंत्र और एक प्रतिमा एक ही कार्य के निमित्त एक ही प्रयुक्त होते हैं। बाद में उन्हें किसी पवित्र नदी में विसर्जित कर देना चाहिए। यह सिद्ध यंत्र तत्काल फल प्रदान करने वाला तथा अत्यंत चमत्कारी है।

गणपति जी का साबर मंत्र:-

ॐ गणपति जहा बुलाउ वहा आओ
दस कोस आगे आवो
दस कोस पीछे आवो
दस कोस दाएँ दस कोस बाये
मैया गुफ्फा की आज्ञा मन रिद्धि सिद्धि देवी आये
अगर जो न आवे तो माता पारवती की लाज
ॐ क्राम फट स्वाहा !

मंत्र जप विधि
गणेश साबर मंत्र के जप
से पूर्व हर रोज गुरु पूजन और गणेश पूजन करे, गणेश जी की मूर्ती के दोनों तरफ एक एक गोमती चक्र अवश्य रखे । गणेश जी के साथ देवी रिद्धि और सिद्धि का भी पूजन करें । पूजा में प्रयास करें मूर्ती मिटटी से बनी हुई ही हो । अंतिम दिन देवी रिद्धि सिद्धि के लिए श्रृंगार का सामान गणेश मंदिर में चढ़ाये ।।

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