शक्तिपात दीक्षा (अमृत कुंडलिनी) साधना
शक्तिपात दीक्षा (अमृत कुंडलिनी )साधना.
इतिहास नाथ सम्प्रदाय से लिखा जाएगा,शक्तिपात शाबर मंत्रों से ही किया जाएगा.
शाबर मंत्र के शक्ति के माध्यम से मनुष्य के शरीर के सभी चक्रों में अपार ऊर्जा का संचार होता है,सबसे पहले मूलाधार चक्र से अमृत को उठाकर सहस्त्र धार चक्र की ओर ले जाया जाता है,इसके बाद अमृत अर्थात वीर्य सहस्रार चक्र में पहुंचकर अमृत रूपी रसायन में बदल जाता है.
इसके बाद अमृत रूपी रसायन इडा पिंगला सुषुम्ना नाड़ी में प्रवाहित होता है,इन तीनों नाडियो से 12 नाडियो में प्रवाहित होता है,इसके बाद 108 नाड़ियों में अमृत रूपी रसायन प्रवाहित होता है.
108 नाड़ीयो में प्रवाहित होने के बाद इसको 72000 नाड़ीयो में पहुंचाया जाता है,इसी तरह मूलाधार से विशुद्ध चक्र में प्रवाहित किया जाता है इसी तरह मूलाधार से अनाहत चक्र हृदय चक्र में प्रवाहित किया जाता है.
इसी तरह मूलाधार से मणिपुर चक्र में प्रवाहित किया जाता है इसी तरह मूलाधार से स्वाधिष्ठान चक्र में प्रवाहित किया जाता है इन सभी चक्रों का संबंध इडा पिंगला सुषुम्ना नाड़ी ओं से होता है.सभी चक्रों द्वारा अमृत स्त्राव 72000 नाडियो के माध्यम से संपूर्ण शरीर में पहुंच जाता है.इसके द्वारा शरीर में उत्पन्न सभी बीमारियां समाप्त हो जाती हैं.चेहरे पर सुंदरता आ जाती है,चेहरा एक तेजमय हो जाता है.
साधक के शरीर के सभी अंगों में नए सेल्स का जन्म होता है,इससे साधक की आयु बढ़ जाती है सामान्य मनुष्य में नए सेल्स का जन्म नहीं होता है.
उसकी एक समय सीमा होती है
लगभग 100 वर्ष की आयु में शरीर निर्जर हो जाता है शरीर में अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं जब सही से कार्य नहीं करते हैं,जिनको चक्रसिद्ध होते हैं वह अपनी आयु को जितना चाहे उतना बड़ा सकते हैं, प्रत्येक चक्र का संबंध शरीर के विशेष अंगों से होता है.
इस क्रिया को शक्तिपात के द्वारा भी सिद्ध कराया जाता है,जब सभी चक्रों में पूर्ण रुप से अमृत गतिमान हो जाता है तब साधक में सूर्य के समान तेज आ जाता है.
साधक के शरीर में कभी भी कोई बीमारी नहीं होती चाहे कितना ही भयंकर कोई जीव हो वायरस हो साधक के शरीर को बीमारी नहीं पहुंचा सकता.
इस क्रिया के परिणाम स्वरूप साधक को कोई भी विशेष साधना मंत्र साधना करने की आवश्यकता नहीं होती है
जिससे अपने शरीर की चमक को बढ़ाएं शक्तिपात क्रिया से साधक की आंतरिक उर्जा बढ़ जाती है और
मात्र 5 मिनट के पूजा करने से साधक अपने शरीर के सभी चक्रों में इस अमृत को चढ़ाने में सक्षम होता है.
साधक मानसिक कल्पना के आधार पर यह क्रिया करता है जब शक्तिपात कर दिया जाता है तो धीरे-धीरे यह क्रिया साधक के सभी चक्रों में रीढ की हड्डी के माध्यम से अपने आप होने लगती है जब भी साधक चाहेगा .
इसी अमृत से भ्रूण का निर्माण होता है
जो लगभग मनुष्य जन्म में 100 वर्ष जीता है सभी चक्र अमृत रूपी स्त्राव करते हैं और साधक इस क्रिया के माध्यम से हजारों वर्ष तक जीवित रहता है.
इस क्रिया से साधक में एक असीम शक्ति उत्पन्न हो जाती है आकर्षण शक्ति बढ़ जाती है,शक्तिपात क्रिया से साधक के सभी चक्रों में गति उत्पन्न हो जाती है और साधक अमृत को सभी चक्रों के माध्यम से पूरे शरीर में 72000 नाडियो के द्वारा संपूर्ण शरीर में फैला देता है.
अमृत स्त्राव शक्तिपात से सबसे बड़ा फायदा यह होता है किस साधक का अमृत कुंड मूलाधार में हमेशा सूखा रहता है,साधक अपना अमृत मूलाधार के माध्यम से सभी चक्रों में प्रवाहित करता रहता है.
इसलिए साधक को कभी भी कामवासना नहीं सता सकती,मूलाधार से सहस्रार तक मूलाधार से आज्ञा चक्र तक मूलाधार से विशुद्ध चक्र तक मूलाधार से अनाहत चक्र तक मूलाधार से मणिपुर चक्र तक मूलाधार से स्वाधिष्ठान चक्र तक मूलाधार एक मोटर पंप का कार्य करता है.
मूलाधार से अमृत रूपी रसायन को सभी चक्रों में छोड़ा जाता है सभी चक्रों के कार्य अलग-अलग होते हैं!
सहस्त्रधारा अमृत स्त्राव दीक्षा शक्तिपात,
आज्ञा चक्र अमृत स्त्राव दीक्षा शक्तिपात,
विशुद्ध चक्र अमृत स्त्राव दीक्षा शक्तिपात,
अनाहत चक्र हृदय चक्र अमृत स्त्राव दीक्षा शक्तिपात,
मणिपुर चक्र अमृत स्त्राव दीक्षा शक्तिपात,
स्वाधिष्ठान चक्र अमृत स्त्राव दीक्षा शक्तिपात,
सहस्त्र धार चक्र कुंडलिनी दीक्षा शक्तिपात,
आज्ञा चक्र कुंडलिनी दीक्षा शक्तिपात
विशुद्ध चक्र कुंडलिनी दीक्षा शक्तिपात
अनाहत चक्र (हृदय चक्र) कुंडलिनी दीक्षा शक्ति पातपात,
मणिपुर चक्र कुंडलिनी दीक्षा शक्तिपात
स्वाधिष्ठान चक्र कुंडलिनी दीक्षा शक्तिपात,
यह शक्तिपात किसी भी स्त्री-पुरुष पर हो सकता है.
किसी भी जीव जंतु पर हो सकता है
कम आयु के बच्चों पर भी हो सकता है
इसमें बच्चे ऐसे होने चाहिए जिनको कुछ समस्या हो जैसे कोई बीमारी है या रोग है.
जो हमेशा परोपकारी हैं सज्जन व्यक्ति हैं दूसरों का भला चाहते हैं ऐसे व्यक्तियों पर शक्तिपात तुरंत प्रभावी होता है.
सभी शक्तिपात केवल मंगलवार और शनिवार को ही किए जाएंगे.
सूर्यास्त के बाद यह शक्तिपात कार्य किया जाता है.
विदेशों में रहने वाले व्यक्ति भी फोन कॉल्स के माध्यम से शक्तिपात दीक्षा ले सकते हैं.
फोन नं +91-7499778160
व्हाट्स एप +91-7499778160
ई मेल gurubalaknath@gmail.com
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