सिंदूर सम्मोहन मंत्र

सिंदूर सम्मोहन मंत्र

ओम नमो आदेश गुरु का। सिंदुर  की माया। सिंदूर नाम तेरी पत्ती। कामाख्या सिर पर तेरी उत्पत्ति। सिंदूर  पढ़ि मैं लगाऊं बिंदी। वश अमुक होके रहे निर्बुद्धी।महादेव की शक्ति। गुरु की भक्ति। न वशी हो तो कामरु कामाख्या  की दुहाई।आदेश हाड़ी दासी चंडी का।अमुक का मन लाओ निकाल। नहीं तो महादेव पिता का वाम पग जाये लाग। आदेश!  आदेश!! आदेश!!!

विधी:- चांदी की एक डिब्बी में सिंदूर रखकर तथा डिब्बी  को हथेली पर रखकर इस मंत्र को एक सौं आठ बार जपकर अभिमंत्रित कर ले।फिर प्रयोग काल में मंत्र बोलकर फूंक मारे।इसकी ललाट पर बिंदी लगाकर साधक जिसे चाहे वशीभूत कर सकता है ।यह प्रयोग स्त्री या पुरुष कोइ भी कर सकता है।

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