शक्तिशाली नवरत्न.
शक्तिशाली नवरत्न.
ऋग्वेद को सबसे प्राचीन ग्रन्थ कहा जाता है|
ऋग्वेद के प्रथम मन्त्र में ही रत्न शब्द विद्यमान है|
अग्निमीळे पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम|
होतारं रत्न धातमं||
---(ऋग्वेद/१/१)
इस मन्त्र में ध्यान देने वाली बात यह है कि
परमात्मा को ‘रत्नधातम’ कहा है अर्थात् रत्नों को धारण करने वाला वह स्वयं ही है| वस्तुतः यह स्पष्ट होता है कि रत्नों में अग्नि रश्मि के रूप में विधमान है ।
कोनसा रत्न कब धारण करना चाहिये,यह जानना जरुरी है। क्युके येसे ही किसीने बोल दिया और उसे धारण कर लिया तो येसे स्थिति मे आवश्यक लाभ प्राप्त नही होते है। महत्वपूर्ण बात ये भी है के रत्न कितने रत्ती का पहेना जाये ? यह तो हम कुण्डली को देखकर ही समज सकते परन्तु यहा मै आपको सामान्य जानकारी दे रहा हू जो आपके लिये सहायक है।
* सूर्य को शक्तिशाली बनाने में माणिक्य का परामर्श दिया जाता है। 3 रत्ती के माणिक को स्वर्ण की अंगूठी में, अनामिका अंगुली में रविवार के दिन पुष्य योग में धारण करना चाहिए।
* चंद्र को मोती पहनने से शक्तिशाली बनाया जा सकता है, जो 2, 4 या 6 रत्ती की चांदी की अंगूठी में शुक्ल-पक्ष सोमवार रोहिणी नक्षत्र में धारण करना चाहिए।
* मंगल को शक्तिशाली बनाने के लिए मूंगे को सोने की अंगूठी में 5 रत्ती से बड़ा, मंगलवार को अनुराधा नक्षत्र में सूर्योदय से 1 घंटे बाद तक के समय में पहनना चाहिए।
* बुध ग्रह का प्रधान रत्न पन्ना होता है जो अधिकांश रूप में पांच रंगों में पाया जाता है। हल्के पानी के रंग जैसा, तोते के पंखों के समान रंग वाला, सिरस के फूल के रंग के समान, सेडुल फूल के समान रंग वाला, मयूर पंख के समान रंग वाला। इसमें अंतिम मयूर पंख के समान रंग वाला श्रेष्ठ माना जाता है, किंतु यह चमकीला और पारदर्शी होना चाहिए। कम से कम 6 रत्ती वजन का पन्ना सबसे छोटी उंगली में प्लेटिनम या सोने की अंगूठी में बुधवार को प्रात:काल उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में धारण करना चाहिए।
* गुरु (बृहस्पति) के लिए पुखराज 5, 6, 9 या 11 रत्ती का सोने की अंगूठी में तर्जनी अंगुली में गुरु-पुष्य योग में सायं समय धारण करने का परामर्श ग्रंथों में उपलब्ध होता है।
* शुक्र ग्रह को शक्तिशाली बनाने के लिए हीरा (कम से कम 2 कैरेट का) मृगशिरा नक्षत्र में बीच की अंगुली में धारण करना चाहिए।
* शनि ग्रह की शांति के लिए नीलम 3, 6, 7 या 10 रत्ती का मध्यमा अंगुली में शनिवार को श्रवण नक्षत्र में पंचधातु की अंगूठी में धारण करना चाहिए।
* राहु के लिए 6 रत्ती का गोमेद उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में बुधवार या शनिवार को धारण करना चाहिए। इसे पंचधातु में तथा मध्यमा अंगुली में पहनना चाहिए।
* केतु के लिए 6 रत्ती का लहसुनिया गुर पुष्य योग में गुरुवार के दिन सूर्योदय से पूर्व धारण करना चाहिए। इसे भी पंचधातु में तथा मध्यमा अंगुली में पहनना चाहिए।
रत्न विशेष:-
माणिक्य
माणिक्य सूर्य ग्रह का रत्न है। माणिक्य को
अंग्रेज़ी में 'रूबी' कहते हैं। यह गुलाबी की तरह गुलाबी सुर्ख श्याम वर्ण का एक बहुमूल्य रत्न है और यह काले रंग का भी पाया जाता है। इसे सूर्य-रत्न की संज्ञा दी गई है। अरबी में इसको ' लाल बदख्शां' कहते हैं। यह कुरुंदम समूह का रत्न है। गुलाबी रंग का माणिक्य श्रेष्ठ माना गया है।
पन्ना
पन्ना बुध ग्रह का रत्न है। पन्ना को अंग्रेज़ी में 'एमेराल्ड' कहते हैं जो कई रंगों में पाया जाता है। यह हरा रंग लिए सफ़ेद लोचदार या नीम की पत्ती जैसे रंग का पारदर्शक होता है। नवरत्न में पन्ना भी होता है। हरे रंग का पन्ना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। पन्ना अत्यंत नरम पत्थर होता है तथा अत्यंत मूल्यवान पत्थरों में से एक है। रंग, रूप, चमक, वजन, पारदर्शिता के अनुसार इसका मूल्य निर्धारित होता है।
हीरा
हीरा शुक्र ग्रह का रत्न है। अंग्रेज़ी में हीरा को 'डायमंड' कहते हैं। हीरा एक प्रकार का बहुमूल्य रत्न है जो बहुत चमकदार और बहुत कठोर होता है। यह भी कई रंगों में पाया जाता है, जैसे- सफ़ेद, पीला , गुलाबी, नीला, लाल, काला आदि। इसे नौ रत्नों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। हीरा रत्न अत्यन्त महंगा व दिखने में सुन्दर होता है। सफ़ेद हीरा सर्वोत्तम है और हीरा सभी प्रकार के रत्नों में श्रेष्ठ है। हीरे को हीरे के कणों के द्वारा पॉलिश करके ख़ूबसूरत बनाया जाता है।
नीलम
नीलम शनि ग्रह का रत्न है। नीलम का अंग्रेज़ी नाम 'सैफायर' है। नीलम रत्न गहरे नीले और हल्के नीले रंग का होता है। यह भी कई रंगों में पाया जाता है; मसलन- मोर की गर्दन जैसा, हल्का नीला, पीला आदि। मोर की गर्दन जैसे रंग वाला नीलम उत्तम श्रेणी का माना जाता है। नीलम पारदर्शी, चमकदार और लोचदार रत्न है। नवरत्न में नीलम भी होता है। शनि का रत्न नीलम एल्यूमीनियम और ऑक्सिजन के मेल से बनता है। इसे कुरुंदम समूह का रत्न माना जाता है।
मोती
मोती चन्द्र ग्रह का रत्न है। मोती को अंग्रेज़ी में 'पर्ल' कहते हैं। मोती सफ़ेद, काला, आसमानी , पीला, लाला आदि कई रंगों में पाया जाता है। मोती समुद्र से सीपों से प्राप्त किया जाता है। मोती एक बहुमूल्य रत्न जो समुद्र की सीपी में से निकलता है और छूटा, गोल तथा सफ़ेद होता है। मोती को उर्दू में मरवारीद और संस्कृत में मुक्ता कहते हैं।
लहसुनिया
लहसुनिया केतु ग्रह का रत्न है। लहसुनिया रत्न में बिल्लि की आँख की तरह का सूत होता है। इसमें पीलापन्, स्याही या सफ़ेदी रंग की झाईं भी होती है। लहसुनिया रत्न को वैदूर्य भी कहा जाता है।
मूँगा
मूँगा मंगल ग्रह का रत्न है। मूँगा को अंग्रेज़ी में 'कोरल' कहा जाता है, जो आमतौर पर सिंदूरी लाल रंग का होता है। मूँगा लाल, सिंदूर वर्ण, गुलाबी, सफ़ेद और कृष्ण वर्ण में भी प्राप्य है। मूँगा का प्राप्ति स्थान समुद्र है। वास्तव में मूँगा एक किस्म की समुद्री जड़ है और मूँगा समुद्री जीवों के कठोर कंकालों से निर्मित एक प्रकार का निक्षेप है। मूँगा का दूसरा नाम प्रवाल भी है। इसे संस्कृत में विद्रुम और फ़ारसी में मरजां कहते हैं।
गोमेद
गोमेद राहु ग्रह का रत्न है। गोमेद का अंग्रेज़ी नाम 'जिरकॉन' है। सामान्यतः इसका रंग लाल धुएं के समान होता है। रक्त-श्याम और पीत आभायुक्त कत्थई रंग का गोमेद उत्त्म माना जाता है। नवरत्न में गोमेद भी होता है। गोमेद रत्न पारदर्शक होता है। गोमेद को संस्कृत में गोमेदक कहते हैं।
पुखराज
पुखराज गुरु ग्रह का रत्न है। पुखराज को अंग्रेज़ी में 'टोपाज' कह जाता हैं। पुखराज एक मूल्यवान रत्न है। पुखराज रत्न सभी रत्नों का राजा है। यह अमूनन पीला, सफ़ेद, तथा नीले रंगों का होता है। वैसे कहावत है कि फूलों के जितने रंग होते हैं, पुखराज भी उतने ही रंग के पाए जाते हैं। पुखराज रत्न एल्युमिनियम और फ्लोरीन सहित सिलिकेट खनिज होता है। संस्कृत भाषा में पुखराज को पुष्पराग कहा जाता है। अमलतास के फूलों की तरह पीले रंग का पुखराज सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
नवग्रह मंत्र जिन्हे रत्न धारण करने के बाद भी जाप करना चाहिये।
सूर्य – ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नमः
जप संख्या – 7000
जप समय – सूर्योदय काल
चंद्रमा – ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्राय नमः
जप संख्या – 11000
जप समय – संध्याकाल
मंगल – ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नमः
जप संख्या – 10000
जप समय – दिन का प्रथम प्रहर
बुध – ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नमः
जप संख्या – 9000
जप समय – मध्याह्न काल
बृहस्पति – ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नमः
जप संख्या – 19000
जप समय – प्रात:काल
शुक्र – ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नमः
जप संख्या – 18000
जप समय – ब्रह्मवेला
शनि – ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नमः
जप संख्या – 23000
जप समय – संध्याकाल
राहु – ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नमः
जप संख्या – 18000
जप समय – रात्रिकाल
केतु – ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: केतवे नमः
जप संख्या – 17000
जप समय – रात्रिकाल
जप संकल्प करने पर प्रतिदिन कम से कम एक माला (108 बार) जप आवश्यक है…
१२ राशियों के नाम एवम उनके स्वामी और राशी रत्न कि जानकारी-
मेष का स्वामी = मंगल-मुंगा ।
वृष का स्वामी = शुक्र-हिरा ।
मिथुन का स्वामी = बुध-पन्ना ।
कर्क का स्वामी = चन्द्रमा-मोती ।
सिंह का स्वामी = सूर्य-माणिक ।
कन्या का स्वामी -= बुध-पन्ना ।
तुला राशी का स्वामी = शुक्र-हिरा ।
वृश्चिक का स्वामी = मंगल-मुंगा ।
धनु का स्वामी = गुरु-पुखराज ।
मकर का स्वामी = शनि-नीलम ।
कुम्भ का स्वामी = शनि-नीलम ।
मीन का स्वामी = गुरु-पुखराज ।
मै सभी रत्न कम दाम मे देना चाहता हू क्युके रत्न बेचना मेरा व्यवसाय नही है और आपको भी लाभ मिले।
माणिक-800 रुपये रत्ती , मोति-600 रुपये रत्ती , मुंगा-650 रुपये रत्ती , पन्ना-550 रुपये रत्ती , पुखराज-600 रुपये रत्ती , नीलम-600 रत्ती , गोमेद-650 रुपये रत्ती , लहसुनिया-650 रुपये रत्ती ।
मै जो भी रत्न दे रहा हू,वह प्राण-प्रतिष्ठा और चैतन्य करके ही दे रहा हू । इनको अलग से कोइ विधी-विधान का जरुरत नही पडेगा । आप अगर इनमे किसी भी 5 रत्ती वजन के रत्न का हिसाब लगाकर मुल्य देखे तो 4000 रुपये के उपर किमत नही है। रत्न सस्ते ही होते है परंतु आजकल सभी अपना व्यवसाय चलाना जानते है,इसलिये रत्नो का किमत बहोत अधिक बताते है। मै उत्तम प्रकार के रत्न ही दुगा काच के तुकडे नही दे रहा हू और आप सभी का कल्याण हो यही कामना करता हू ।दुनिया मे तो आपको लाखो रत्न मिल जायेंगे परंतु शक्तियुक्त चार्ज रत्न बहोत कम लोग ही देते है और इतने कम मुल्य मे रत्न प्राप्त होना ये भी तो लाभदायक बात है।
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