कामाख्या (कामिया) सिंदूर प्रयोग.

कामाख्या (कामिया) सिंदूर प्रयोग.

कामाख्या माता:

तांत्रिकों की देवी "कामाख्या देवी" की पूजा भगवान शिव के नववधू के रूप में की जाती है, जो कि मुक्ति को स्वीकार करती है और सभी इच्छाएं पूर्ण करती है। काली और त्रिपुर सुंदरी देवी के बाद कामाख्या माता तांत्रिकों की सबसे महत्वपूर्ण देवी है।

मुख्य मंदिर जहां कामाख्या माता को समर्पित है, वहीं यहां मंदिरों का एक परिसर भी है जो दस महाविद्या को समर्पित है। ये महाविद्या हैं- मातंगी, कामाला, भैरवी, काली, धूमावति, त्रिपुर सुंदरी, तारा, बगुलामुखी, छिन्नमस्ता और भुवनेश्वरी। इससे यह स्थान तंत्र विद्या और काला जादू के लिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

इस क्षेत्र के आसपास कई तांत्रिक मंत्र पाए गए हैं जिससे स्पष्ट है कि कामाख्या मंदिर के आसपास इसका महत्वपूर्ण आधार है। ऐसा माना जाता है कि अधिकांश कौल तांत्रिक की उत्पत्ति कामापूरा में हुई है। सामान्य धारणा यह है कि कोई भी व्यक्ति तब तक पूर्ण तांत्रिक नहीं बन सकता जब तक कि वह कामाख्या देवी के सामने माथा न टेके।

अकसर यह सोचा जाता है कि तंत्र विद्या और काली शक्तियों का समय गुजर चुका है। लेकिन कामाख्या में आज भी यह जीवन शैली का हिस्सा है। अम्बुबाची मेला के दौरान इसे आसानी से देखा जा सकता है। इस समय को शक्ति तांत्रिक की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। शक्ति तांत्रिक ऐसे समय में एकांतवास से बाहर आते हैं और अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करते हैं। इस दौरान वे लोगों को वरदान अर्पित करने के साथ-साथ जरूरतमंदों की मदद भी करते हैं।

इस मंदिर में दिया जाने वाला प्रसाद भी दूसरें शक्तिपीठों से बिल्कुल ही अलग है। इस मंदिर में प्रसाद के रूप में लाल रंग का गीला कपड़ा दिया जाता है और साथ मे कामाख्या सिन्दूर भी दिया जाता है । कहा जाता है कि जब मां को तीन दिन का रजस्वला होता है, तो सफेद रंग का कपडा मंदिर के अंदर बिछा दिया जाता है। तीन दिन बाद जब मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं, तब वह वस्त्र माता के रज से लाल रंग से भीगा होता है। इस कपड़ें को अम्बुवाची वस्त्र कहते है। इसे ही भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। कामाख्या सिन्दूर असली में छोटे छोटे पत्थरोँ के रूप में होता है, जो की माँ कामाख्या मंदिर से प्राप्त होता है ।

कामाख्या सिन्दूर से वशीकरण सम्भव है और मै यहा आज मेरे आजमाये हुये प्रयोग दे रहा हूँ।

1-किसी भी अष्टमी के दिन शुभ समय पर कामाख्या सिन्दूर पर "त्रीं" (Treem) बीज मंत्र का 30-40 मिनट तक जाप करे और सिन्दूर को संम्भाल कर रखें। जब भी किसी महत्वपूर्ण कार्य पर जाना हो तो स्वयं सिन्दूर का तिलक करके जाये तो सभी कार्यो मे सफलता प्राप्त किया जा सकता है।

2-अगर किसी साधना मे सफलता ना मिल रहा हो तो कामाख्या सिन्दूर (स्याही) से भोजपत्र पर महुआ (पेड़) के कलम से जिस मंत्र को सिद्ध करना हो वह लिखे। उसका साधारण पुजन करते हुए उसको देखते हुए मंत्र का जाप करे तो मंत्र जागृति होता हैं। इस तरह से किसी भी विशेष मंत्र को सिद्ध किया जा सकता है।

3-मन मे कोइ मनोकामना हो जो पुर्ण नहीं हो रहा हो तो किसी नये लाल वस्त्र पर एक सुपारी रखे जो भैरव का रुप माना जायेगा और उसका किसी अमावस्या के रात्री मे पुजन करके "ॐ भं भैरवाय मम अमुक कामना शिघ्र सिद्धये ह्रीं फट" मंत्र का जाप 324 बार करके कामाख्या सिन्दूर का सुपारी को तिलक लगायें । यह क्रिया होने के बाद सुपारी को उसी लाल कपड़े मे बांधकर उसी रात से सर के निचे रखकर सो जाये। जब तक आपका मनोकामना पुर्ण ना हो तब तक सुपारी को सर के निचे रखकर ही सोना है और मनोकामना पुर्ण होने के बाद सुपारी को लाल वस्त्र के साथ बहते हुए जल मे प्रवाहित कर देना है। इस प्रयोग से नौकरी मिल सकता है,फसा हुआ धन वापस मिल सकता है,शादी जुड़ सकता है.....इस प्रकार से बहोत सारा मनोकामना पुर्ण किया जा सकता हैं।

4-जिवन मे धन का अभाव हो और अच्छा पैसा कमाने के बाद घर मे पैसा टिकता ना हो तो पिले रंग के वस्त्र मे कामाख्या सिन्दूर के साथ नागकेसर को बांधकर तिजोरी मे रखे तो इस प्रकार के समस्या का समाधान हो सकता है।

5-अब महत्वपूर्ण प्रयोग जो शायद कुछ लोगो के लिये विशेष है। यह प्रयोग वशीकरण हेतु है,जब दो प्यार करने वालो के जिवन मे किसी कारण से मनमुटाव आजाये और दोनो का रिश्ता टुट जाये तो यह साधनात्मक प्रयोग जो खोये हुए प्यार को वापस जिवन मे प्राप्त किया जा सकता है। यह एक तान्त्रिक प्रयोग होते हुए भी आसान सा प्रयोग है,इससे हम जिसे चाहते है उसको प्राप्त कर सकते है।

तांत्रिक वशीकरण प्रयोग:-

कामाख्या सिन्दूर को गुलाब जल मे मिलाकर स्याही बनाये और इस स्याही से भोजपत्र पर कैसा भी स्त्री पुरुष का चित्र बनाए । किसी भी सात हनुमान मन्दिर मे जाकर उनके दाए कंधे का सिन्दूर निकालकर लाये,अब हनुमानजी के सिन्दूर से दोनो चित्र मे नाम लिखे,नाम उनका लिखना है जिन दोनो को मिलाना है। प्रयोग चाहे स्त्री करे या पुरुष करे परंतु उनको दोनो का नाम लिखना होगा।

यह साधना अमावस्या से करना है,समय रात्री मे 10 बजे का होगा।आसन और वस्त्र लाल रंग के हो,दिपक कडवे तेल (सरसो) का होगा,धूप बत्ती भी जलाये,पुजा मे लाल रंग के पुष्प होना चाहिए। मंत्र जाप उत्तर दिशा मे मुख करके करना है,जिस भोजपत्र पर दो चित्र बनाये हुए है उनको को भी लाल वस्त्र पर ही स्थापित करना है। अब दो चित्र के बिच मे लाल रंग का गुलाब का पुष्प रखकर मातारानी से साधना मे सफलता हेतु प्रार्थना करें। वैसे यहा पर पुर्ण मंत्र साधना विधान देना संम्भव नही है क्युके यह एक गोपनिय प्रयोग है। 

मंत्र:-

ॐ नमो आदेश गुरुजी को,कामाख्या रानी की मोहिनी त्रिभुवन मे चले आकाश मोहे पाताल मोहे,मोहे सारा संसार,अमुक का मन अमुक के लिये मोहे,ना मोहे तो तो कामिया सिन्दूर मोहिनी ना कहेलाये,दुहाई ******मेरी भक्ति गुरु की शक्ति,फुरो मंत्र इश्वरो वाचा ।।

अब आप लोग समझ ही गये होगे के कामिया सिन्दूर को कामाख्या मोहिनी भी कहा जाता है। मैंने यहा मंत्र को अधूरा रखा हुआ है और इसका कारण यही है के "what's app & Facebook" पर घुमने वाले कथीत तांत्रिक मंत्र को यहा से चुराकर अपने नाम से ना छाप सके। 



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