हत्थाजोड़ी:तांत्रिक वशिकरण प्रयोग (Haath Jodi vashikaran)

हत्थाजोड़ी:तांत्रिक वशिकरण प्रयोग (Haath jodi)

इस फोटो में हत्था जोड़ी,पाय जोड़ी,मायाजाल,इंद्रजाल और मोहिनी जाल है ।

हत्था जोड़ी तांत्रिक प्रयोगों में काम आने वाली एक दुर्लभ एवं चमत्कारिक वस्तु है | ये एक प्रकार की वनस्पति बिरवा की जड़ है, लेकिन इसे दुर्लभ माना जाता है, क्योकि ये सहज उपलब्ध नहीं होती है | अमरकंटक में अगर कोई जाए तो वहां के आसपास के जंगलों में आपको बिरवा का पौधा देखने मिल सकता है । जब यह पौधा आपको दिखे तो गलती से भी उसको छूना नही क्योके उसके पत्ते विषैले होते है,जिसको छूने से बहोत देर तक इंसान को खुजली की तकलीफ होती है । किसी धारदार लोहे के लंबे सलाख से पौधे के आसपास खुदवाई करे और ज्यादा से ज्यादा डेड-दो फ़ीट खोदने पर आपको बिरवा के जड़ में एक ऐसा जड़ दिखेगा जिसके दोनों हाथ जुड़े हुए हो और उसको जब जमीन से बाहर निकाला जाए तो वह कुछ दिनों तक सूखने के बाद थोड़े बहोत एक दूसरे से अलग होने लगते है । मतलब जुड़े हुए हाथ एक दूसरे से अलग हो जाते है और यह एक निसर्ग का संकेत माना जाता है जैसे "अब तक मैं माँ धरती से हाथ जोड़कर कामना कर रहा था के मुझे दुनिया के काम आना है और जब मुझे जमीन से बाहर निकाल दिया जाए तो मैं अपने जन्म के बाद अपनी दोनों बाहे फैलाने की कोशिश करूँगा ताकि माँ को आभार व्यक्त कर सकू" ।

निसर्ग हमे बहोत कुछ सिखाता है परंतु हम आसानी से समझ नही पाते है । जैसे अघोर तंत्र में हत्था जोड़ी का ज्यादा इस्तेमाल भगवान प्रेतेेश्वर को प्रणाम करने हेतु किया जाता है । बहोत सारे अघोरी इसके पीछे का रहस्य नही जानते है,इसका रहस्य आज आपको बता देता हूँ । स्वयं महाकाली जी का निवासस्थान स्मशान में माना जाता है और भगवान प्रेतेश्वर को अगर माँ अपने बच्चे (महाकाली साधक) के लिए प्रणाम करे तो प्रेतेश्वर भगवान को साधक की इच्छा को पूर्ण करना ही पडेगा । जब माँ ने दैत्यों का नाश किया तो स्वयं अम्बा जी ने महाकाली जी को चामुंडा नाम दिया था जो उग्र स्वरूप होकर भी अपने बच्चो के लिये ममता स्वरूपिणी है । हत्था जोड़ी में माँ चामुंडा का निवास होता है और अघोर साधक हत्था जोड़ी को अपने नाम से प्राण-प्रतिष्ठा करते है साथ मे माँ से कामना करते है "है माँ महाकाली मुझे पूर्ण सिद्धि हेतु भगवान अघोरेश्वर (प्रेतेश्वर) से आशीर्वाद चाहिए और वह आपकी बात को कभी टाल नही सकते है । तो माँ मेरे तरफ से इस हत्था जोड़ी के माध्यम से मैं अपने दोनों हाथ जोड़कर उनसे प्रार्थना कर रहा हु,कृपया आप मेरा प्रणाम भगवान प्रेतेश्वर स्वीकार करे ऐसी कृपा मुझे प्रदान करते हुए मेरा कार्य सिद्ध करे" । इस प्रार्थना को माँ स्वीकार करते हुए स्वयं प्रेतेश्वर भगवान से अपने बच्चे के लिए कामना करती है ।

हत्था जोड़ी का महत्व साधारण नही है,इसलिए ओरिजनल हत्था जोड़ी मिल जाये तो उसको सुरक्षित रखना चाहिए । आज के समय मे शालिग्राम शिला और हत्था जोड़ी मार्केट में सस्ते दामों पर 100% डुप्लीकेट मिल जाती है परंतु जीवन मे एक बार अगर ओरिजनल मिल जाये तो यह सौभाग्य ही माना जायेगा । किसी के भी हृदय में स्थान (वशिकरण) बनाने हेतु हत्था जोड़ी एक चमत्कारी तांत्रोक्त सामग्री मानी जाती है । कहा जाता है हत्था जोड़ी के माध्यम से किया जाने वाला वशिकरण क्रिया अचूक होता है और कई वर्षों तक वशिकरण क्रिया का असर रहेता है । जैसे अन्य वशिकरण क्रियाओ में वशिकरण का असर धीमा हो जाता है या फिर समाप्त हो जाता है । हत्था जोड़ी के माध्यम से किया जाने वाला वशिकरण प्रयोग गोपनीय होता है,जिसे सिर्फ समाज में कल्याण हेतु किया जाना चाहिए अन्यथा इसका प्रभाव देखने नही मिलता है । हवस के आदि हुये लोगो को किसी भी स्त्री या पुरूष को परेशान करने हेतु ऐसा उच्चकोटी का क्रिया नही करना चाहिए । हत्था जोड़ी धन प्राप्ति,व्यवसाय वृद्धि,कोर्ट-कचेरी,विद्या प्राप्ति,इतर योनि सिद्धि, नवार्ण मंत्र सिद्धि, महाकाली साधना,नोकरी प्राप्ति,शीघ्र विवाह हेतु,मनोवांछित वर/वधु प्राप्त करने हेतु और ऐसे कई कार्य है जिनमे सफलता प्राप्त करने हेतु आवश्यक सामग्री मानी जाती है । हत्था जोड़ी की प्राण-प्रतिष्ठा साधक के नाम से ही करनी चाहिए ताकि उसको पूर्ण लाभ मिले और साधक के प्रत्येक विशेष मनोकामना पूर्ति हेतु संकल्प लेकर ही हत्था जोड़ी को चैतन्य किया जाना चाहिए । मैने आज यहां पर हत्था जोड़ी के बारे में जितना भी लिखा है उतना अन्य कही आपको पढ़ने नही मिलेगा,हत्था जोड़ी प्रामाणिक रूप से ही साधक को प्रदान किया जाए तो देने वाला भी पूण्य का भागी होता है और अप्रामाणिक देने वालो के हाल बहोत बुरे होते है क्योके दुनिया मे जिससे चाहो उससे अप्रामाणिकता दिखा सकते हो परंतु माँ चामुंडा से डरना जरूरी है अन्यथा माँ नाराज होकर अप्रामाणिक हत्था जोड़ी देने वालो पर क्रोधित हो जाती है । मर्यादा में रहकर इंसान जो भी कार्य करता है उसे उसका शुभ फल प्राप्त होता ही है और अशुभ कार्य करने वाले ज्यादा दिनों तक जीवन का आनंद नही उठा सकते है ।



वशिकरण प्रयोग:-

दुर्गा जी के मंदिर जाइए और माँ से कामना कीजिये, फिर घर मे बैठकर शाम के समय स्फटिक माला से 21 माला मंत्र जाप 21 दिनों तक रोज कीजिये और मंत्र जाप के बाद लाल रंग के पुष्प भगवती जी के चित्र/चरणो मे चढ़ा दीजिये,कार्य पूर्ण होने के बाद पीली सरसो से १०८ आहुती हवन मे दे दीजिये ताकि वशिकरण का असर कई वर्षो तक कायम रहे । इस साधना में हत्था जोड़ी जो सिर्फ वशिकरण हेतु इस्तेमाल करना है ( जो चामुंडा बिजोक्त मंत्र से सिद्ध हो ) अन्य कार्यो के लिए नही । जिसको वश में करना है उसके फ़ोटो के साथ लाल धागे से बाँधे और लाल धागे से बांधते समय एक विशेष मंत्र का 7 बार जाप करना होता है ताकि पुर्ण कार्य सिद्ध हो सके । मेरे अनुभव के हिसाब से बिना इस क्रिया के कार्य पूर्ण नही हो सकता है क्योंके यह विशेष मंत्र जो मैं यहां नही दे रहा हु वह दोनों प्रेमियो को प्रेम के बंधन में बांध देता है , जिससे कार्य पूर्ण हो जाता है । मंत्र जाप लड़का/लड़की के फोटो को देखते हुए करना है,साथ मे प्रत्येक माला के बाद फ़ोटो पर बाँधी हुई हत्था जोड़ी को कुंकुम का तिलक करना है ।

मंत्र:-

॥ ॐ चामुंडे कुर्यम दंडे अमुक हृदय मम हृदयं मध्ये प्रवेशाय प्रवेशाय प्रवेशाय स्वाहा ॥

साधना पूर्ण होने से पहिले ही साधका का कार्य पूर्ण होते हुए अनुभव किया गया है परंतु कभी कभी साधना समाप्ति के बाद 8-10 दिनों तक इंतजार करना पड़ता है ।
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